हेलो मित्रों, आज हम भारत के उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) का जीवन परिचय और उनकी राजनीतिक सफलता की यात्रा पर चर्चा करेंगे।
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वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) का जीवन परिचय
वेंकैया नायडू का जन्म 1 जुलाई 1949 को चावटपलेम नल्लूर में हुआ था। वह नेल्लोर के VRA हाई स्कूल से पढ़ाई पूरी की, फिर VRA कॉलेज से राजनीति और राज्य में स्नातक किया। उसके बाद उन्होंने आन्ध्र विश्वविद्यालय, विशाखापट्टनम से कानून में स्नातक की डिग्री हासिल की।
पूरा नाम / Full Name | मुप्पवरपु वेंकैया नायडू |
जन्म / Birth | 1 जुलाई 1949 |
जन्मस्थान /Birth Place | चावटपलेम, नेल्लोर, आंध्र प्रदेश |
शिक्षा / Education | बी.ए., बी.एल. |
पत्नी / Wife | श्रीमती मुप्पावारापु उषा |
संतान / Children | Harshvardhan Naidu, Deepa Venkat |
पद/ Post | भारत के 13वें उपराष्ट्रपति |
पार्टी / Party | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
जानिए कैसी रही उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू की राजनीतिक विजययात्रा
इतिहास गवाह है कि देश काल की परिस्थितियों ने हमेशा से प्रभावों को आवाज दी और भविष्य का नेतृत्व चल पड़ा। कर्तव्य पथ पर पिछले सौ वर्षों में ही आंध्र प्रदेश के कई क्षेत्रों में विकास की ज़रूरत थी और इसी तरह की विकास की इच्छा भी ज़ोर पकड़ रही थी।
समय के इस प्रकार को सुनने वालों में एक खास नाम एम वेंकैया नायडू का भी था। सामने था नारा जय आंध्रा का।
इस आंदोलन ने जहाँ राजनीति और विकास की सोच को नई दिशा दी तो साथ ही 1972 में जय आंध्र आंदोलन ने एक युवा नेतृत्व को जन्म दिया जो आने वाले वक्त में शासन राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाला था। जय आंध्र आंदोलन के उस दौर में दक्षिण आंध्र के नेल्लोर आंदोलन को एक रचनात्मक दिशा दी वेंकैया नायडू । वेंकैया नायडू के व्यक्तित्व को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने ट्वीट में जैसे पूरे देश की भावना को स्थान में रख दिया हो।
ये वो दौर था जब लोकतंत्र को सलाखों में बंद करने की तैयारी थी। ये वो दौर था जब देश भर में दूसरी आजादी की गुहार लगा रही थी। देश का युवा जो है उससे बेहतर की आस में अपना सबकुछ दांव पर लगाने को तैयार बैठा था। बर्बर कानून और तौर तरीके आम थे। लोकतंत्र की रक्षा के इस यज्ञ में कई युवाओं ने अपनी आहुतियाँ दी। इसी दौरान देश में आंदोलन की सुगबुगाहट आंध्र प्रदेश तक पहुंची। जहाँ एक और युवा नायक देश की आत्मा की रक्षा के लिए तत्पर था वेंकैया नायडू।
यूनिट 171 की बात है जब नायडू नाम का एक शख्स आंध्रप्रदेश के एक शहर नेल्लूर के वीआर कॉलेज के छात्रसंघ का अध्यक्ष चुना गया।इसके 2 साल के भीतर वे आंध्र विश्वविद्यालय के कॉलेज के छात्रसंघ अध्यक्ष भी बने। आंध्र में भी कांग्रेस की नीतियों को लेकर लोगों का आक्रोश चरम पर पहुँच रहा था। जरूरत थी ऐसा आक्रोश को एक दिशा देने की।
70 के दशक के मध्य में जहाँ एक बड़ी भूमिका रही युवा नायडू की जो आंध्र में छात्र युवा संघर्ष समिति के संयोजक बनाए गए, जिसने राज्य में जेपी मूवमेंट की भावना को जनता तक पहुंचाया। जे पी की आंध्र में गतिविधियों को युवा बंकाया नायडू ने सुनिश्चित किया।
मौजूदा प्रशासन वेंकैया नायडू की गतिविधियों पर नजर रखे हुए था। नतीजा दमन चक्र चला और मेन्टेन्स ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी यानी मीसा के तहत वेंकैया नायडू को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया गया। 7.5 महीने की नायडू की सोच को न सिर्फ दिशा दी बल्कि राष्ट्र निर्माण, प्रेरणा, नए जोश के साथ नसों तक उतर आए।
70 के दशक में जब जनसंघ देश भर में अपनी पहचान बना रही थी, विशेषकर दक्षिण भारत में तब आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के मार्गदर्शन में पार्टी की जड़ों को सींचने में अपना सर्वस्व लगा रहा था।आपातकाल के बाद नायडू बुनियादी स्तर पर काम करते रहे और 1977 से 1980 तक जनता पार्टी के युवा शाखा के अध्यक्ष रहे।
यह वह दौर भी था जब युवा नायडू राजनैतिक पलक पर तेजी से उभरे। वेंकैया नायडू ने तय किया कि चुनौतियों को हराने का सबसे बेहतर रास्ता उससे सामना करने में ही है। ये समय था जब आंध्र में एनटीआर की तेलुगु देशम पार्टी की राजनीतिक लहर उफान पर थी। ऐसे में न की उदयगिरी विधानसभा सीट पर नायडू ने अपना राजनीतिक दांव लगा दिया, लेकिन रास्ते इतने आसान नहीं थे। कांग्रेस भी जैसे उदयगिरी की इस सीट पर अपना सबकुछ झोंकने को तैयार बैठी थी। कांग्रेस ने यहाँ चुनाव प्रचार के लिए इंदिरा गाँधी तक को उतार दिया।
बहरहाल चुनाव हुए और जनता जैसे इस मौके के इंतजार में थे। उदयगिरी की जनता ने वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) को ना सिर्फ भारी मतों से जीत दिला दी बल्कि यह पूर्व के चुनाव से दो गुणा बहुमत था। ये वो दौर था जब देश 20 वीं शताब्दी से 21 वीं शताब्दी में जाने को तैयार था और देश अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में एक ऐसी सरकार थी जो विकास के नीव के पत्थर को नया आयाम नई मजबूती दे रही थी। विकास के इस तरफ तार में भी ग्रामीण इलाके तो जैसे काफी पहले ही पीछे छूट चूके थे। गांव तक पहुँच किसी के लिए भी आसान नहीं थी।
वेंकैया नायडू (Venkaiah Naidu) केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य बने और जिम्मेदारी मिली ग्रामीण विकास मंत्रालय की चुनौती कठिन थी लेकिन ये उनका नेतृत्व ही था जिसने प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना को नई उड़ान दी। नायडू ने नई सोच को सामने रखा। सड़कों के निर्माण की जगह ज़ोर इस पर दिया गया कि ग्रामीण इलाके मुख्यधारा से जुड़ पाए। संपर्क स्थापित हो सके।
इस सोच ने जैसे पासा ही पलट दिया ग्रामीणों के अर्थव्यवस्था से जुड़ने की नई शुरुआत हुई विकास शुरू हुआ एक सशक्त ग्रामीण अर्थव्यवस्था की | राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ सामंजस्य बिठाना हो या किसानों के उत्पादों को बाजार से जोधपुर की पहल नए रंग लेकर आई | जानकार कहते हैं कि इस दौरान वेंकैया नायडू के सरकार में किसानों की आवाज बनकर उभरे |
80 के दशक में जब भाजपा चुनावी राजनीति में अभिजीत के बिल्कुल शुरुआती दौर में थी ऐसे में देश भर में ऐसी प्रभाव और प्रतिबद्ध थी जो पार्टी को ऐसा बना सके जो भविष्य की जीत का आधार स्तंभ हो | भाजपा के महासचिव पद के बाद उन्हें राज्य पार्टी प्रमुख बनाया गया यह साहस भरा फैसला था लेकिन उन्होंने अपनी संगठनात्मक क्षमता का परिचय सबको कराया और जब जुलाई 2002 में बकाया नायडू भाजपा के अध्यक्ष बने |
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