Dr. Sarvepalli Radhakrishnan ka Jeevan Parichay | डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जीवन परिचय Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी | Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

Presidents By Apr 04, 2023 1 Comment

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी | ( Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography in hindi)

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन का नाम आजाद भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति के तौर पर स्वर्णिम अक्षरों से लिखा जाता है। उन्होंने दर्शनशास्त्र का भी अधिक ज्ञान रखते थे और भारतीय दर्शनशास्त्र में पश्चिमी सोच की शुरुआत की। राधाकृष्णन न केवल एक प्रख्यात राजनेता थे बल्कि एक विस्तृत दार्शनिक भी थे। भारत में हर साल 5 सितंबर को उनके सम्मान में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। 20वीं सदी के विद्वानों में उनका नाम सबसे ऊँचा है। वे हिंदुत्व को पश्चिम और भारत दोनों में फैलाने के लिए प्रयास किया करते थे। राधाकृष्णन जी दोनों सभ्यताओं को एकजुट करने की कोशिश करते थे और उन्होंने कहा था कि देश को बनाने में शिक्षकों का योगदान सबसे बड़ा होता है इसलिए, देश के शिक्षकों की बुद्धि सबसे अच्छी होनी चाहिए।

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी Dr Sarvepalli Radhakrishnan biography Hindi

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डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी (Dr Sarvepalli Radhakrishnan Short biography in hindi)

जीवन परिचयराधा कृष्णन जीवन परिचय
पूरा नाम (Full Name)डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन
धर्म (Religion)हिन्दू
जन्म (Birth)5 सितम्बर 1888
जन्म स्थान (Place)तिरुमनी गाँव, मद्रास
माता-पिता (Parents)सिताम्मा, सर्वपल्ली विरास्वामी
विवाह (Marriage)सिवाकमु (1904)
बच्चे (Children)5 बेटी, 1 बेटा

डॉ राधाकृष्णन 1888 में तमिलनाडु के एक छोटे से गांव तिरुमनी में जन्मे थे। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली विरास्वामी था, जो गरीब थे लेकिन विद्वान ब्राह्मण थे। उन्हें बचपन से ही सुख और सुविधा की कमी का सामना करना पड़ा क्योंकि उनके पिता पूरे परिवार पर जिम्मेदार थे।

जब राधाकृष्णन 16 साल के थे तब उन्होंने अपनी दूर की चचेरी बहन सिवाकमु से शादी कर ली। उन्हें 5 बेटियाँ और 1 बेटा हुआ। इनके बेटे का नाम सर्वपल्ली गोपाल था जो भारत के महान इतिहासकार थे।

उनकी पत्नी की मृत्यु 1956 में हुई थी। भारतीय क्रिकेट टीम के महान खिलाड़ी वीवी एस लक्ष्मण इन्हीं के खानदान से ताल्लुक रखते हैं।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी की शिक्षा –

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी का बचपन तिरुमनी गांव में ही बीता था। वहीं से उन्होंने अपनी शिक्षा की शुरुआत की। उनके पिता ने उनकी आगे की शिक्षा के लिए क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल, तिरुपति में दाखिला करवा दिया था, जहां वे 1896 से 1900 तक रहे। सन् 1900 में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने वेल्लूर कॉलेज से शिक्षा ली। उसके बाद मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज, मद्रास से उन्होंने अपनी आगे की शिक्षा पूरी की। वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे। उन्होंने 1906 में दर्शन शास्त्र में M.A किया था। डॉ राधाकृष्णन जी को अपने पूरे जीवन में शिक्षा के क्षेत्र में स्कालरशिप मिलती रही।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का करियर शुरू होता है—

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन भारत के एक अमर व्यक्तित्व हैं, जिन्होंने देश को अपने विचारों और कार्यों से जोड़ा रखा है। उनका करियर उन्होंने दर्शनशास्त्र के क्षेत्र में शुरू किया था।

डॉ राधाकृष्णन को 1909 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र का अध्यापक बनाया गया था। इसके बाद सन 1916 में वे मद्रास रजिडेसी कॉलेज में दर्शन शास्त्र के सहायक प्राध्यापक बने। उन्हें 1918 में मैसूर यूनिवर्सिटी द्वारा दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर के रूप में चुना गया था। वे इंग्लैंड के oxford university में भारतीय दर्शन शास्त्र के शिक्षक भी थे।

डॉ राधाकृष्णन शिक्षा को बहुत महत्व देते थे। उनका शिक्षा के प्रति रुझान उन्हें एक मजबूत व्यक्तित्व प्रदान करता था। वे हमेशा कुछ नया सीखना पसंद करते थे।

डॉ राधाकृष्णन ने अपने कैरियर के दौरान बहुत सारी पुस्तकें लिखीं थीं, विशेष रूप से दर्शनशास्त्र पर।

डॉ. राधाकृष्णन ने अपने आदर्शों में विवेकानंद और वीर सावरकर को माना था और उनके बारे में गहन अध्ययन किया था। वे अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से पूरी दुनिया को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराने का प्रयास किया। उन्हें बहुआयामी प्रतिभा होने के साथ-साथ देश की संस्कृति से प्रेम करने वाला व्यक्ति भी माना जाता था।

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डॉ राधाकृष्णन का राजनीती में आगमन –

डॉ. राधाकृष्णन ने स्वतंत्रता के बाद राजनीति में अपना दायित्व निभाया था। 1947 से 1949 तक, संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य के रूप में काम किया था। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के आग्रह पर सोवियत संघ के साथ राजनीतिक कार्यों में भी भाग लिया था। संसद में, उनके कार्य और व्यवहार की सराहना की जाती थी।

डॉ. राधाकृष्णन भारत के दूसरे राष्ट्रपति थे, जिन्होंने 13 मई 1952 से 13 मई 1962 तक देश के उपराष्ट्रपति के पद पर कार्य किया। 13 मई 1962 को उन्होंने भारत का राष्ट्रपति चुनाव जीता था।

डॉ. राधाकृष्णन के कार्यकाल में भारत को चीन और पाकिस्तान के साथ युद्ध का सामना करना पड़ा, जिसमें चीन से हार का सामना करना पड़ा। इसके अलावा, उनके कार्यकाल के दौरान दो प्रधानमंत्री भी मर गए।

उनके काम को लेकर साथी व्यक्तियों में विवाद था, लेकिन सम्मान के मामले में उन्हें सभी लोगों द्वारा बड़ा सम्मान दिया जाता था। भारत के इतिहास में डॉ. राधाकृष्णन को बड़े व्यक्तित्व के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने अपने अद्भुत कार्यों से देश को महानता की ओर ले जाया।

डॉ.राधाकृष्णन को मिले सम्मान व अवार्ड 

डॉ. राधाकृष्णन को सन 1954 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया था क्योंकि उन्होंने शिक्षा और राजनीति में अतिरिक्त योगदान दिया था। वे इस सम्मान के पहले भारतीय व्यक्ति थे जिन्हें यह अलंकरण प्राप्त हुआ। सन 1962 से उनके जन्मदिन, 5 सितंबर, को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उन्हें ब्रिटिश एकेडमी का सदस्य बनाया गया था जिसका वर्ष 1962 में नामांकन किया गया था। पोप जॉन पॉल ने उन्हें गोल्डन स्पर से सम्मानित किया था। उन्हें इंग्लैंड सरकार द्वारा आर्डर ऑफ़ मेरिट से सम्मानित किया गया था।

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने अपने जीवन के समय शिक्षा एवं धर्म के क्षेत्र में अनेक उपलब्धियां हासिल की हैं। इनकी लेखनी अत्यंत संवेदनशील और उच्च परिपक्वता की होती थी और इन्होंने अपने जीवन के समय भारतीय दर्शन शास्त्र एवं धर्म के उपर अनेक पुस्तकें लिखी जैसे “गौतम बुद्ध: जीवन और दर्शन”, “धर्म और समाज”, “भारत और विश्व” आदि।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु 

भारत में अध्यापन और शिक्षा के क्षेत्र में डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन एक महान व्यक्ति थे। उनकी मृत्यु 17 अप्रैल 1975 को एक लम्बी बीमारी के बाद हुई थी। डॉ. राधाकृष्णन ने अपना जीवन शिक्षा क्षेत्र में बिताया और अपने अनुभवों के माध्यम से शिक्षा का महत्व जागृत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

FAQ

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन कब और कहां पैदा हुए?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्म 5 सितंबर 1888 को तिरुत्ताणी, मद्रास प्रांत में हुआ था।

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जन्मदिन कैसे मनाया जाता है?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मृत्यु कब हुई थी?

सर्वपल्ली राधाकृष्णन 17 अप्रैल 1975 को मर गए।

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के कौन-से शौक थे?

डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन के शौक पुस्तकों को पढ़ना, संगीत सुनना और यात्रा करना थे।

क्या डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन विवाहित थे?

हां, डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन विवाहित थे।

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